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दीपावली

                                      भारत पर्वों का देश है | यहाँ अनेकानेक पर्व मनाए जाते हैं | दीपों का उत्सव दीपावली उन्ही में से एक प्रमुख त्यौहार है | कार्तिक मास की अमावस्या की अँधेरी रात को दीपामालाएँ पूर्णिमा बना देती हैं | हर्ष-उल्लास से परिपूर्ण यह पर्व केवल बहार ही नहीं, बल्कि भीतर से भी सबमें आशा और उमंग का प्रकाश जगमगा देता है |


क्यों मनाया जाता है
                                   –दीपावली के साथ कई धार्मिक तथा एतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं | श्री राम जी चौहद वर्ष का वनवास पूरा कर इसी दिन अयोध्या पहुँचे थे | अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में दीपमालाएँ सजाई थीं | समूद्र मंथन से इसी दिन लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं | इसी दिन भगवन विष्णु ने उपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने लिए नरसिंह अवतार लिया था | जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंक भगवान महावीर का परिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ था | सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी भी मुगलों की जेल से इसी दिन मुक्त हुए थे | ये सभी घटनाएँ  इस पर्व के महत्त्व को बढ़ा देती हैं |

कैसे मनाया जाता है

                                  दीपावली मनाने की तैयारी कई दिन पुर से ही प्रारंभ हो जाती है | घर की साफ़-सफ़ाई करके सजावट की जाती है | पकवान बनाए जाते है | बाजार और दुकाने सज जाती हैं | विशेस रूप से मिठाई और पटाखों की दुकानों में खूब रौनक रहती है | खिल-बताशो और मिटटी के खिलौने आदि खरीदना शुभ मन जाता है | दीपावली से दो दिन पहले ‘धन-तेरस’ पर नई बर्तन खरीदे जाते है | एक दिन पूर्व ‘नरक चतुर्दशी’ के दिन भी कुछ दीप जलाए जाते हैं | इस दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध  किया था |


                                  दीपावली के दिन का सोभा तो निराली होती है— घर-बाजार नई दुल्हन की तरह सजे होते है | संध्या का अंधेरा घिरते ही सारे घर रोशनी से जगमगाउठते हैं | लक्ष्मी-पूजन और आरती होती है | लो पटाके, फुल्झारियाँ, जलाकर अपना हर्ष प्रकट करते हैं | आतिशबाजी की जगमग से अँधेरी रात रोशन हो जाती हैं |

                                 दीपावली के अगले दिन ‘गोवरधन पूजा’ और ‘अन्नकूट’ होता है तथा दो दिन बाद ‘भैया दूज’ होता है | बहनों अपने भाईयों को तिलक करके मंगलकामना करती हैं | दीपावली का पर्व परस्पर प्रेम और भाईचारे की भावना बढाता है | लोग एक-दुसरे को फल –मिठाई या उपहार देते हैं |
                                 दीपावली का यह सुंदर पर्व जुआ, शराब और पटाखें की दुर्गंध और दुर्घटनाओं से असुंदर भी बन जाता है | इन कुरीतियों को पूरी तरह समाप्त करके ही दीपावली का सच्चा आनंद प्राप्त हो सकता हैं |


                                उपसंहार- दीपावली हर वर्ष आशा, विश्वास और आनंद का उज्ज्वल प्रकाश लेकर आती है | अंधकार पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की विजय का संदेश देती है |समृधि की कामना वाले इस पर्व पर हमें उनके अंधियारे जीवन को भी रोशन करना चाहिए, जो गरीब और आशिक्षा के कारण इस दिन मिठाई का एक टुकड़ा तक खरीद नही पाते |

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